सम्पर्क भाषा (जनभाषा) : परिभाषा एवं सामान्य परिचय

सम्पर्क भाषा (जनभाषा) : परिभाषा एवं सामान्य परिचय


'भाषा मनुष्य के विचार-विनिमय और भावों की अभिव्यक्ति का साधन है।' सम्पर्क भाषा का आशय जनभाषा है। किसी क्षेत्र का सामान्य व्यक्ति प्रचलित शैली में जो भाषा बोलता है वह जनभाषा है। दूसरे शब्दों में क्षेत्र विशेष की संपर्क भाषा ही जनभाषा है।  इसलिए जरूरी नहीं कि जनभाषा शुद्ध साहित्यिक रूप वाली ही हो या वह व्याकरण के नियम से बंधी हो।


सम्पर्क भाषा या जनभाषा वह भाषा होती है जो किसी क्षेत्र, प्रदेश या देश के ऐसे लोगों के बीच पारस्परिक विचार-विनिमय के माध्यम का काम करे जो एक दूसरे की भाषा नहीं जानतेदूसरे शब्दों में विभिन्न भाषा–भाषी वर्गों के बीच सम्प्रेषण के लिए जिस भाषा का प्रयोग किया जाता है, वह सम्पर्क भाषा कहलाती है। इस प्रकार 'सम्पर्क भाषा' की सामान्य परिभाषा होगी : 'एक भाषा-भाषी जिस भाषा के माध्यम से किसी दूसरी भाषा के बोलने वालों के साथ सम्पर्क स्थापित कर सके, उसे सम्पर्क भाषा या जनभाषा (Link Language) कहते हैं।


डॉ. पूरनचंद टंडन के अनुसार-


सम्पर्क भाषा से तात्पर्य उस भाषा से है जो समाज के विभिन्न वर्गों या निवासियों के बीच सम्पर्क के काम आती है। इस दृष्टि से भिन्न-भिन्न बोली बोलने वाले अनेक वर्गों के बीच हिन्दी एक सम्पर्क भाषा है और अन्य कई भारतीय क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न भाषाएँ बोलने वालों के बीच भी सम्पर्क भाषा है।


डॉ. महेन्द्र सिंह राणा ने सम्पर्क भाषा को इन शब्दों में परिभाषित किया है-


परस्पर अबोधगम्य भाषा या भाषाओं की उपस्थिति के कारण जिस सुविधाजनक विशिष्ट भाषा के माध्यम से दो व्यक्ति, दो राज्य, कोई राज्य और केन्द्र तथा दो देश सम्पर्क स्थापित कर पाते हैं, उस भाषा विशेष को सम्पर्क भाषा या सम्पर्क साधक भाषा (Contact Language or Interlink Language) कहा जा सकता है।


इस क्रम में डॉ. दंगल झाल्टे द्वारा प्रतिपादित परिभाषा उल्लेखनीय है-


अनेक भाषाओं की उपस्थिति के कारण जिस सुविधाजनक विशिष्ट भाषा के माध्यम से व्यक्ति-व्यक्ति, राज्य-राज्य, राज्य केन्द्र तथा देश-विदेश के बीच सम्पर्क स्थापित किया जाता है, उसे सम्पर्क भाषा (Contact or Inter Language) की संज्ञा दी जा सकती है। 


उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि सम्पर्क भाषा मात्र दो या दो से अधिक भिन्न-भिन्न भाषा–भाषियों के बीच सम्पर्क का माध्यम नहीं बनती, जो एक-दूसरे की भाषा से परिचित नहीं है, अपितु दो या दो से अधिक भिन्न-भिन्न भाषा–भाषी राज्यों के बीच तथा केन्द्र और राज्यों के बीच भी सम्पर्क स्थापित करने का माध्यम बन सकती है।