वर्षा- बूँदें
डॉ अनीता पंडा, शिलांग (मेघालय) भारत
*************************************************
रिमझिम मेघा बरसे
शीतल मंद समीर
मन पंछी कल्लोल करे
नयन काहे होत अधीर ।
काहे होत अधीर नयन
चले जमुना जी के तीर
मुरली बजावत मधुर धुन
सलोने यशोदा के वीर ।
यशोदा के वीर सलोने
घनश्याम बन मेह बरसे
मन मयूर नाचे अलबेले
बूँदों संग करें अठखेले ।
बूँदों संग करें अठखेले
सखी, डाल पर पड़े झूले
पेंग प्रेम रस बढ़ाएँ
आओ, बर्षा संग झूमें ।
आओ, वर्षा संग झूमें
तप्त धरा देखो हर्षे
प्रियतम मेघ नेह बरसे
हरित रोम-रोम उमंगे ।
परिचय-
डॉ अनीता पंडा
कार्य क्षेत्र - अतिथि प्रवक्ता, मार्टिन लूथर क्रिश्चियन विश्वविद्यालय, शिलांग,
वरिष्ठ शोधकर्ता ICSSAR, New Delhi
कार्यक्रम संचालक NES AIR Shillong
रुचि- गद्य व पद्य की समस्त प्रचलित विधाओं में सृजन व विविध पत्र पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन
उद्देश्य- हिंदी को लोकप्रिय राष्ट्रभाषा बनाना
● हिंदी को समर्पित समस्त प्रकार की खबरों, कार्यक्रमों तथा मिलने वाले सम्मानों की रिपोर्ट/फोटो/वीडियो हमें pragyasahityahindisamachar@gmail.com पर भेजें।
● 'नि:शुल्क प्राज्ञ कविता प्रचार योजना' के अंतर्गत आप भी अपनी मौलिक कविताएं हमें pragyasahityahindi@gmail.com पर भेजें।
● 'नि:शुल्क प्राज्ञ लेख प्रचार योजना' के अंतर्गत आप भी अपने लेख भेजने हेतु 09027932065 पर संपर्क करें।
● प्राज्ञ साहित्य की प्रति डाक से प्राप्त करने व वार्षिक सदस्यता प्राप्त करने के लिये 09027932065 पर संपर्क कर हमारा सहयोग करें।
● 'प्राज्ञ साहित्य' परिवार का हिस्सा बनने के लिए 09027932065 पर संपर्क करें।