टूटी सीमाएँ
तुलसी कार्की, असम (भारत)
*************************************************
भूखे को थाली परोसी मिलेगी
तो उसको कब
ये सुध होगी
थाली में रोटी थी या किसानों का दर्द?
ठिठुरती सर्दी में फुटपाथ पर सोते हुए को
कम्बल की गर्मी तन पर मिले
तो उसको कब ये सुध होगी
कम्बल रेशों का है या चमड़ी का?
गुलाम देश को आज़ादी मिल जाए
तो किसको इतनी सुध होगी
मात्र बेड़ियाँ टूटी या सीमाएँ ?
परिचय-
तुलसी कार्की
सुपुत्री- चंद्रा प्रभा
पति का नाम- भुवन छेत्री
जन्मतिथि- 13/01/1980
शिक्षा- शोधार्थी (हिंदी), स्नातकोंत्तर हिंदी, स्नातकोंत्तर मानव अधिकार, स्नातकोंत्तर ट्रांसलेशन
प्रकाशित रचनाएं-
कविताएं- मां, लकीर, सपने, खामोशी, कहीं कुछ,भूल किसकी, आदि।
लेख- अंक और प्रतिशत की दौड़, कथनी और करनी में फर्क, हिंदी है हम वतन है हिंदुस्तान हमारा, आदि।
● हिंदी को समर्पित समस्त प्रकार की खबरों, कार्यक्रमों तथा मिलने वाले सम्मानों की रिपोर्ट/फोटो/वीडियो हमें pragyasahityahindisamachar@gmail.com पर भेजें।
● 'नि:शुल्क प्राज्ञ कविता प्रचार योजना' के अंतर्गत आप भी अपनी मौलिक कविताएं हमें pragyasahityahindi@gmail.com पर भेजें।
● 'नि:शुल्क प्राज्ञ लेख प्रचार योजना' के अंतर्गत आप भी अपने लेख भेजने हेतु 09027932065 पर संपर्क करें।
● प्राज्ञ साहित्य की प्रति डाक से प्राप्त करने व वार्षिक सदस्यता प्राप्त करने के लिये 09027932065 पर संपर्क कर हमारा सहयोग करें।
● 'प्राज्ञ साहित्य' परिवार का हिस्सा बनने के लिए 09027932065 पर संपर्क करें।