जा रहा चुपके से सूरज का बदन पानी में (ग़ज़ल) - डॉ. आरती कुमारी
जा रहा चुपके से सूरज का बदन पानी में डॉ. आरती कुमारी , मुज़फ़्फ़रपुर (बिहार) भारत ************************************************* जा रहा चुपके से सूरज का बदन पानी में क्या बुझेगी भला दिनभर की जलन पानी में, शाम आँचल को पसारे हुए बैठी है अभी, वो उतारेगा मुसाफत की थकन पानी में रंग लायेगी ये मेहनत…